अनचाहा रिश्ता... - 1 Suhani द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनचाहा रिश्ता... - 1

" इससे बड़ा अनादर क्या होगा हमारा आद्रित राजपूत । तुम्हारी लड़की भरे मंडप से भाग गई है । बारात बाहर दुल्हन के इंतजार में है लेकिन वो शायद किसी और के साथ मुंह काला करके निकल गई है । अरे थोड़ी सी तो शर्म करो । अभी भी तुम किस मुंह से मेरे सामने खड़े हो । अरे अभी तक तो तुम्हे चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाना चाहिए था "

प्रत्युष चौहान ने गुस्से से सामने खड़े आद्रित राय से कहा जो हाथ जोड़े और सिर झुकाए खड़े थे । उनका सिर लज्जा से झुक गया था । सामने खड़े प्रत्युष की कड़वी बातें उनके सीने को छलनी सा कर रही थी ।

" अपनी जुबान संभालो प्रत्युष चौहान " एक नौजवान लड़का गुस्से से उबलते हुए बोला और आगे बढ़ने लगा तो आद्रित ने उसे रोक लिया ।

फिर इशारे से इंकार में सिर हिला दिया । लड़का मुट्ठी कसे अपनी जगह पर ही रुक गया ।

" संभालो अपनी औलाद को । एक भाग गई है और दूसरा आंखें दिखा रहा है प्रत्युष चौहान को । इस बेइजती को मैं याद रखूंगा आद्रित राय । और हां , इसका खामयाजा भी तुम लोगों को भुकतना होगा , बर्बाद कर दूंगा तुम्हे । तुमको भी देख लेंगे और उस लड़की को भी " बोलते हुए प्रत्युष ने उनकी तरफ उंगली तान दी ।

आद्रित ने अपने सिर से अपनी पगड़ी उतारी और बोले " हम शर्मिंदा हैं । आप जो कहेंगे हम करने को तैयार हैं , हो सके तो हमे माफ कर दीजिए । चाहें तो अपनी इज्जत आपके कदमों में रख देते हैं " बोलते हुए उन्होंने पगड़ी को प्रत्युष के पैरों के पास रख दिया ।

प्रत्युष ने गुस्से से पगड़ी को लात मार दी और बोले " थूकता हूं मैं इस इज्जत पर " बोलकर वो गुस्से से बाहर निकल गया ।

आद्रित जी वहीं बैठे बैठे रो दिए । उनकी आंखों से आंसुओं की बूंदें लगातार निकलने लगी । उनकी धर्म पत्नी रत्ना जो उनके ठीक पीछे ही खड़ी थी , आकर उनके बगल में बैठी और उनके कांधे पर अपना सिर टिकाकर रोते हुए बोली " ये सब क्या हो रहा है जी । किन हालातों में फंस गए हैं हम "

दोनो ही रो रहे थे फर्क सिर्फ इतना था कि रत्ना के रोने में आवाज थी और आद्रित खामोशी में रो रहे थे।
वहीं खड़ा उनका बेटा जागृत अभी भी गुस्से से भरा हुआ प्रत्युष के बारे में सोच रहा था । जो वो करके गया था ये सब उसके सीने पर खंजर की तरह चुभ रहा था।

" सब बर्बाद हो गया रत्ना " बोलकर उन्होंने कसकर आंखें मूंद ली ।

" मुझे विश्वास है हमारी राधिका ऐसा नही कर सकती आद्रित । वो समझती है हालातों को । वो नही भाग सकती "
रत्ना ने कहा तो जागृत बोला " सच में मां ? आप चाहती हैं कि वो यहां रुकती । ये शादी नही सौदा हो रहा था उसका । अच्छा हुआ भाग गई वरना इन जैसे लोगों के घर में जाती तो जी नहीं पाती मेरी बहन ।
और वैसे भी एक 19 साल की लड़की की शादी आप लोग अपने मतलब के लिए कैसे करवा रहे थे ? मुझे भी शादी से एक दिन पहले बताया जा रहा है कि मेरी छोटी बहन की शादी की जा रही है "

आद्रित का चेहरा जो पहले ही झुका हुआ था जागृत की बात सुनकर और भी ज्यादा झुक गया ।

रत्ना उसे देखते हुए बोली " तुम्हे समझ में भी आ रहा है तुम क्या कह रहे हो । हम अपनी मर्जी से उसकी शादी नही करवा रहे थे । मजबूर कर दिया गया था हमे "

जागृत गुस्से से बोला " इन लोगों को तो मैं छोडूंगा नही "

" कुछ नही कर पाओगे तुम " आद्रित ने कहा और कमरे की दीवार पर लगी राधिका की तस्वीर को देखते हुए बोले " अभी तो मुझे फिक्र राधिका की हो रही है । ना जाने कहां चली गई वो । मुझे नही लगता वो खुद से भाग सकती है । पर अगर भागी है तो बस वो इन लोगों के हाथ ना लगे वरना ना जाने क्या करेंगे । चौहान साहब का बेटा कहीं उसके साथ कुछ गलत ना करे "

वो सोच ही रहे थे कि तभी बाहर से तोड़ फोड़ और गोलियां चलने की आवाज आने लगी । तीनों जल्दी से कमरे से बाहर निकल गए ।

घर की बैठक में सब लोग डरे सहमे से खड़े थे।
" बाहर निकल आद्रित " चिल्लाते हुए एक लड़का हाथ में बंदूक पकड़े उपली मंजिल की तरफ देख रहा था।

उसने दुल्हे की शेरवानी पहनी हुई थी । साफ था कि वही दूल्हा था जिसका नाम प्रवीण चौहान था । उसके ठीक पीछे प्रत्युष चौहान भी खड़ा था ।

आद्रित सामने आए तो प्रवीण ने उनके उपर बंदूक तान दी और बोला " हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी इतना बड़ा खेल खेलने की । तुम्हारी बेटी का रिश्ता मांगकर एहसान कर रहे थे तुम्हारे ऊपर । शुक्र मानते कि तुमसे ऐसा रिश्ता जोड़ रहे थे वरना थूकते भी नही तुम जैसों के उपर ।

पर इतना सब करने के बाद भी तुमने अपनी लड़की को ही भगा दिया । इतनी बड़ी बेइजती की हमारी " बोलकर उसने गोली चला दी जिसका निशाना आद्रित थे ।

जागृत ने गोली चलते देखा तो झट से आद्रित को साइड करने लगे लेकिन इतने में गोली आकर उनकी बाजू पर लग चुकी थी । आद्रित जोर से चिल्ला दिए ।

" पापा " " आद्रित " बोलते हुए जागृत और रत्ना दोनो ने आद्रित को पकड़ लिया । जागृत बेहद गुस्से से प्रवीण को देखने लगा । वो आगे बढ़ने लगा तो आद्रित ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया ।

जागृत ने उनकी तरफ देखा तो वो दर्द से कराह रहे थे । आद्रित जानते थे कि प्रवीण जागृत पर गोली चलाने से भी पीछे नहीं हटेगा इसलिए वो उसे आगे नहीं जाने देना चाहते थे ।

तीनों ही बेबस थे। वो सिवाय प्रवीण के गुस्से को देखने के और कुछ नही कर सकते थे ।

वहां खड़ी भीड़ में अफरा तफरी मच गई ।

प्रवीण चिल्लाते हुए बोला " कोई हिलेगा नही , जो हिला उसकी मौत लिखी है आज "

उसकी धमकी सुनकर सब लोग अपनी जगह पर ही जम गए ।

प्रवीण फिर से आद्रित पर गोली चलाने लगा तो प्रत्युष ने आकर उसे रोक लिया और बंदूक को छत की तरफ घुमा दिया ।

प्रवीण ने लगातार सारी गोलियां चला दी थी जो छत में जाकर लगी थी ।

" बस बस , शांत हो जाओ । और गुस्सा नही । अभी कुछ नही करो , कोई मर मरा गया तो दिक्कत हो जायेगी । चलो यहां से । बाद में देख लेंगे अच्छे से " बोलकर प्रत्युष उसे ले जाने लगे ।

प्रवीण गुस्से से सांसें लेते हुए बोला " ढूंढ लूंगा उस लड़की को भी । कहां जायेगी भागकर और जब मिलेगी तो ऐसी सजा दूंगा कि रूह कांप जायेगी उसकी " बोलकर वो गुस्से से बाहर निकल गया ।

उसी के साथ प्रत्युष और उनके साथ आए आदमी भी वहां से निकल गए । धीरे धीरे पूरा घर खाली हो गया ।

सब लोग राधिका के उपर लांछन लगाकर जा रहे थे । कोई बदचलन कह रहा था तो कोई कलमुही । कोई चरित्रहीन कहकर गया तो कोई कलंकिनी । ना जाने कितनी ही अपमानित कर देने वाली बातें लोग उसके लिए कहते जा रहे थे ।

आद्रित रत्ना और जागृत के कानों में सबकी बातें जा जरूर रही थी लेकिन वो किसी को जवाब नही दे रहे थे ।

कहां चली गई राधिका ? क्यों की जा रही है सौदे की शादी ?